Thursday, May 7, 2015

नेपाल में भयावह त्रासदीः हजारों लोग भूकम्प में मरे

वर्ष-18, अंक-09(01-15 मई, 2015)   
 25 अप्रैल को दक्षिण एशिया के हिमालयी क्षेत्र में आये तीव्र भूकम्प जो कि रियेक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता का था ने नेपाल, तिब्बत और भारत के बिहार में व्यापक तबाही मचायी। नेपाल में इस भूकम्प से सबसे ज्यादा जान-माल की हानि हुयी। अनुमान है कि नेपाल में दस हजार से भी ज्यादा लोग मारे गये और घायलों की संख्या कई हजारों में है।
    नेपाल के बाद सबसे ज्यादा जानें भारत के बिहार प्रांत में गई। वहीं तिब्बत में दो दर्जन से अधिक लोग इस भूकम्प की चपेट में आ गये।

    नेपाल में राष्ट्रीय आपातकाल लगा दिया गया और पूरी दुनिया से बचाव व राहत के कार्यों के लिए सरकारें और आम जन सक्रिय हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार नेपाल की 2.5 करोड़ की आबादी में अस्सी लाख लोग भूकम्प से प्रभावित हुए हैं। 
    राजनैतिक अस्थिरता से जूझ रहे नेपाल में इस भयावह त्रासदी के बाद हालात और बदतर हो गये हैं। दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल नेपाल में भूकम्प के कई झटकों के बाद बारिश और बर्फबारी ने आम जनों के जीवन में और कई कठिनाइयों को पैदा कर दिया है। काठमाण्डू घाटी में राहत कार्य मूलतः केन्द्रित हैं जबकि देश के भीतरी और दूर-दराज के इलाकों में हुए जान-माल की हानि का कोई ठोस अनुमान नहीं लगाया जा सका है। अभी भी सैकड़ों लोग जिन्दा या मुर्दा मलबे के नीचे दबे हुए हैं। 
    काठमाण्डू में हुयी व्यापक तबाही का कारण अनियंत्रित व अनियोजित विकास रहा है। सामंती काल में वैभव व प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में खड़ी की गयी नौ मंजिला इमारत भीमसेन टावर अकेले दो सौ से अधिक लोगों की मौत का कारण बन गया। धरहरा टावर के नाम से जाने जानी वाली इस इमारत से 250 से अधिक शव निकाले गये। 
    नेपाल की इस त्रासदी को केवल प्राकृतिक त्रासदी या भूकम्प का पूर्वानुमान न लगा पाने के कारण कहकर हलके में नहीं लिया जा सकता है। असल में इस तरह की त्रासदियों के केवल मुख्य तौर पर शासक वर्ग और उनकी पूंजीवादी व्यवस्था जिम्मेवार है। काठमाण्डू में बने घरों, होटलों और अन्य तरह की इमारतों में भूकम्प से बचने के कोई पूर्व उपाय नहीं थे। भूकम्प आने के बाद हताहतों और घायलों की देखरेख की कोई प्रणाली और बंदोबस्त नहीं थे। 
    घायलों को तुरंत सहायता न मिलने से ऐसी आपदाओं के समय मरने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। और समय के हर पल बीतने के साथ मृतकों की संख्या और बढ़ती जाती है। यही बात उत्तराखण्ड में जून 2013 में और जम्मू-कश्मीर में सितम्बर में आई बाढ़ और भू-स्खलन के समय देखा गया था। उत्तराखण्ड में मरने वालों का सही ब्यौरा कभी सामने नहीं आ सका। इस तरह की आपदाओं को प्राकृतिक आपदा कहकर शासक वर्ग अपने कुकर्मों पर एक आवरण डाल देते हैं। 

अपील 
नेपाली मेहनतकशों की सहायता के लिए आगे आओ!
    नेपाल में आये विनाशकारी भूकम्प ने नेपाल के मजदूर-मेहनतकश जनता के जीवन को अपार दुःख से भर दिया है। ऐसे वक्त में हमारा दायित्व बनता है कि हम उनके साथ खड़े होकर उनके साथ अपना भाईचारा प्रकट करें। उनकी मदद के लिए आगे आयें। इस हेतु आप से अपील की जाती है कि स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया, रामनगर नैनीताल (उत्तराखण्ड) के खाते में आर्थिक सहयोग करें।
स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया, रामनगर नैनीताल
‘‘नागरिक अधिकारों को समर्पित’’
खाता संख्याः 30488926725
IFSC Code- 0000701
सम्पर्क सूत्र- 07500714375

‘नागरिक’ अपनी ओर से क्षमता भर योगदान के लिए कृत संकल्प है।    सम्पादक

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