Sunday, May 31, 2015

बच्चों के हित में या बच्चों के खिलाफ?

बाल श्रम प्रतिबंधन एवं नियमन कानून में संशोधन
वर्ष-18, अंक-11(01-15 जून, 2015)
    गत 13 मई को संसदीय कैबिनेट ने बालश्रम प्रतिबंधन एवं नियमन कानून में संशोधनों को मंजूरी दे दी। सरकार ने अपनी पीठ ठोेंकते हुए कहा कि उसने बच्चों के हित का ध्यान रखते हुए 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी किस्म के व्यवसाय में काम पर रोक लगा दी। साथ ही 14-18 साल के बच्चों के खतरनाक उद्योगों में काम पर रोक जारी रखी है। 
    हालांकि कानून में संशोधन का महत्वपूर्ण पहलू यह कदम है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से पारिवारिक व्यवसाय में काम लेने की छूट दे दी गयी है। हालांकि यह जोड़ दिया गया है कि बच्चों को स्कूल के बाद पारिवारिक व्यवसाय में लगाया जा सकेगा। सरकार का तर्क है कि इससे बच्चों को अपना पारम्परिक काम सीखने का मौका मिलेगा। 

नजीब-केजरी जंगः मंजे अभिनेता आमने-सामने

वर्ष-18, अंक-11(01-15 जून, 2015)
    पूंजीवादी राजनीति में जब दो नाटकीय पात्र आमने-सामने खड़े हो जायें तो इस बात की पूरी संभावना है कि दृश्य नाटकों से बन जाये और दर्शकों को आनंददायक लगे। दिल्ली प्रदेश में आजकल यही हो रहा है। 
    दिल्ली प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग की खासियत यह है कि वे नाट्य कला में रुचि रखते हैं और गाहे-बगाहे नाटकों में अभिनय भी करते हैं। उनके द्वारा अभिनीत एक-दो नाटक तो खासे मशहूर भी रहे हैं। ऐसा तो नहीं लगात कि पिछली कांग्रेस सरकार ने उनकी इस खासियत की वजह से दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाया हो पर उन्होंने केन्द्र के एजेण्ट की भूमिका बखूबी निभाई है। पहले वे केन्द्र की कांग्रेस सरकार के लिए काम कर रहे थे, अब भाजपा सरकार के लिए कर रहे हैं। 

मोदी की विदेश यात्रायें और मीडिया की चापलूसी

वर्ष-18, अंक-11(01-15 जून, 2015)
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर से पिछले दिनों विदेश यात्रा पर थे। इस बार वे चीन, मंगोलिया और द.कोरिया घूम आये। पिछले एक वर्ष में वे 30 देशों से अधिक की यात्रायें कर चुके हैं। इन सभी यात्राओं का भारत के पूंजीवादी मीडिया में कुछ इस भाव से प्रदर्शन किया जाता रहा है मानो सिकंदर विश्व विजय के अभियान पर निकला हो और सभी देशों के शासक उसके आगे नतमस्तक होते जा रहे हैं।  अभी हाल की चीन यात्रा का उदाहरण ले लें। चीनी राष्ट्रपति द्वारा प्रोटोकाॅल तोड़ मोदी की अगुवाई को भारतीय पूंजीवादी मीडिया ने इस रूप में प्रचारित किया कि मानो चीन भारत की बढ़ती ताकत के आगे झुकने को मजबूर हो गया। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रोटोकाॅल तोड़ राजनेताओं का दूसरे देश केे नेताओं द्वारा स्वागत अधिकाधिक परम्परा बनती जा रही है। खुद भारतीय नेता साम्राज्यवादी मुल्कों के नेताओं के स्वागत में प्रोटोकाॅल तोड़ते रहे हैं। 

Saturday, May 16, 2015

अच्छे दिन न आने थे न आये

वर्ष-18, अंक-10(01-15 जून, 2015)
    मोदी सरकार का एक वर्ष पूरा होने को है। भाजपा के कहे अनुसार अच्छे दिन आ चुके हैं। भाजपा इस अवसर पर एक हफ्ते का उत्सव मनाने की तैयारी कर रही है जिसमें मोदी सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा। 
    मोदी सरकार ने पिछले एक वर्ष में क्या क्या किया? इसका लेखा जोखा करने से पहले सरकार के वायदों को याद कर लेना उचित होगा। बड़बोले मोदी ने अच्छे दिनों को लाने का, 100 दिन में काला धन वापस ला जनता में बांटने का वायदा किया था। ये वायदे न तो पूरे होने थे और न हुए। हां! अच्छे दिन एक मुहावरा जरूर बन गया। 

हिचकोले खाता शेयर बाजार और लुढ़कता रुपया

वर्ष-18, अंक-10(01-15 जून, 2015)  
 नरेन्द्र मोदी ने एक वर्ष पूर्व अपने चुनाव प्रचार के दौरान शेयर बाजार और रुपये की गिरावट को काफी मुद्दा बनाया था। रुपये की गिरावट को उन्होंने राष्ट्रीय गौरव से जोड़ते हुए मनमोहन सरकार की खूब खिल्ली उड़ायी थी। अब लगता है ये सब बातें उनका पीछा करने लगी हैं। 
    शेयर बाजार हिचकोले खा रहा है। अप्रैल माह में एक समय बाॅम्बे स्टाॅक एक्सचेंज का शेयर सूचकांक (सेंसेक्स) 29000 से ऊपर जा पहुंचा था वह अब 27,000 के आस-पास है। मई माह में इसमें बहुत तेज उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। मई माह के दूसरे हफ्ते में यह उतार-चढ़ाव 500 अंकों से ऊपर-नीचे होता रहा। पिछले समय में विदेशी निवेशकों के अपने हाथ-खींचने से ही यह सूचकांक करीब 2000 अंक नीचे गिरा है। 12 मई को तो वह 27000 से भी नीचे आ गया। बाजार के जानकारों के अनुसार शेयर बाजार की इस गिरावट से निवेशकों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 

ओसामा, ओबामा और पाकिस्तान

वर्ष-18, अंक-10(01-15 जून, 2015)
   सं.राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का ओसामा बिन लादेन की हत्या के बारे में किये गये दावों की पोल प्रसिद्ध अमेरिकी खोजी पत्रकार सेमर एम हर्श ने खोल दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने तुरन्त ही हर्श की बातों को नकार दिया। 
    ओसामा बिन लादेन की 2 मई 2011 की रात को पाकिस्तान के सैन्य शहर ऐबटाबाद में अमेरिकी नेवी सील द्वारा हत्या कर दी गयी थी। ओसामा की इस हत्या को अमेरिकी साम्राज्यवादियों के एक बहुत बड़े कारनामे के रूप में पेश किया गया था। अमेरिकी सेना के इस कारनामे से हमारे देश के तत्कालीन सैन्य प्रमुख इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने भारत में वांछित तथाकथित पाकिस्तानी आतंकवादियों को इसी ढंग से सजा देने की अपनी क्षमता की भी ढींग हांकी थी। 

Thursday, May 7, 2015

नेपाल में भयावह त्रासदीः हजारों लोग भूकम्प में मरे

वर्ष-18, अंक-09(01-15 मई, 2015)   
 25 अप्रैल को दक्षिण एशिया के हिमालयी क्षेत्र में आये तीव्र भूकम्प जो कि रियेक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता का था ने नेपाल, तिब्बत और भारत के बिहार में व्यापक तबाही मचायी। नेपाल में इस भूकम्प से सबसे ज्यादा जान-माल की हानि हुयी। अनुमान है कि नेपाल में दस हजार से भी ज्यादा लोग मारे गये और घायलों की संख्या कई हजारों में है।
    नेपाल के बाद सबसे ज्यादा जानें भारत के बिहार प्रांत में गई। वहीं तिब्बत में दो दर्जन से अधिक लोग इस भूकम्प की चपेट में आ गये।

कश्मीर घाटी फिर गरमायी

वर्ष-18, अंक-09(01-15 मई, 2015)   
 कश्मीरी जनता का आक्रोश एक बार फिर सड़कों पर फूट रहा है। कश्मीर घाटी फिर से बड़े-बड़े प्रदर्शनों-बंदों की गवाह बन रही है। 
आजादी के नारे फिर से हवाओं में तैरने लगे हैं। साल दर साल कश्मीरी जनता का सड़कों पर उतरता आक्रोश यही बतलाता है कि भारतीय शासक संगीनों के दम पर कश्मीरी जनता की आकांक्षा को कुचल नहीं सकते। 
    14 अप्रैल को भारतीय सेना ने दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल गांव में खालिद नामक एक नवयुवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी। इसके पश्चात सेना ने उसे आतंकी घोषित करते हुए मुठभेड़ में उसका मारा जाना घोषित कर दिया। इसके पश्चात उसके शव को तुरंत दफना भी दिया गया। उसके पिता बताते रहे कि उसके शरीर पर उत्पीड़न के ढेरों निशान थे पर गोली का एक भी निशान नहीं था। पर उनकी इस बात की कोई सुनवाई नहीं हुयी। 

Friday, May 1, 2015

सीताराम येचुरी की सदारत में माकपा

वर्ष-18, अंक-09(01-15 मई, 2015)    
सीताराम येचुरी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) की केन्द्रीय कमेटी के नये महासचिव चुने गये हैं। उन्होंने प्रकाश करात को प्रतिस्थापित किया है। यह विशाखापत्तनम में आयोजित पार्टी की इक्कीसवीं कांग्रेस में सम्पन्न हुआ। 
    प्रकाश करात के बदले सीताराम येचुरी के नेतृत्व में माकपा का क्या भविष्य होगा? क्या वह देश की पूंजीवादी राजनीति में अपनी कोई प्रभावी भूमिका बना पायेगी?