Thursday, April 16, 2015

फर्जी इनकांउटर में पुलिस ने की 25 निर्दोषों की हत्या

वर्ष-18, अंक-08(16-30 अप्रैल, 2015)
  7 अप्रैल को आंध्र प्रदेश पुलिस ने दो बड़े कारनामों को अंजाम दिया। पूंजीवादी मीडिया की खबरों के मुताबिक स्पेशल टास्क फोर्स ने चंदन तस्करों से इनकांउटर में 20 तस्कर मार गिराये और दूसरी घटना में जेल से अदालत लाते समय 5 आतंकियों ने पुलिस से हथियार छीनने की कोशिश की जिसके चलते हुए इनकाउंटर में पांचों आतंकी मारे गये। 
    वास्तविकता पुलिस की कहानी के एकदम उलट थी। पहली घटना में मारे गये 20 लोग तस्कर नहीं सामान्य गरीब मजदूर थे। दूसरी घटना में पुलिस ने सोचे समझे तरीके से पांचों अभियुक्तों को गाड़ी में ही मार गिराया। दोनों ही घटनाओं के लिए इनकांउटर का दर्जा देने के लिए कहानी गढ़ ली गयी जो कुछ इस तरह थी। 

मजदूरों-किसानों को लूटने-ठगने को एक ‘नई’ पार्टी

वर्ष-18, अंक-08(16-30 अप्रैल, 2015)   
  भारतीय पूंजीवादी राजनीति में एक नई पार्टी के बनने की चर्चा जोरों पर है। यह पार्टी जनता परिवार के एकजुट होते जाने से अस्तित्व में आने वाली है। समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल (सेकूलर), इण्डियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और समाजवादी जनता पार्टी (एसजेपी) के एक होने से इस पार्टी के अप्रैल माह के बीतते-बीतते सामने आ जाने की सम्भावना है। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में इस पार्टी का नाम समाजवादी जनता पार्टी और चुनाव चिह्न साइकिल पर सहमति विलय करने वाले दलों के बीच बनी है।

‘नागरिक’ के सम्पादक व उपपा महासचिव पर जानलेवा हमला

वर्ष-18, अंक-08(16-30 अप्रैल, 2015)    
 31 मार्च को ‘नागरिक’ के सम्पादक मुनीष कुमार और उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी पर उत्तराखण्ड के एक खनन माफिया ने अपने गुण्ड़ों के जरिये जानलेवा हमला करवाया। इस हमले में दोनों ही लोगों को गम्भीरें चोटें आयीं। प्रभात ध्यानी को घायलावस्था में कई दिन अस्पताल में गुजारने पड़े।

Wednesday, April 1, 2015

यमन पर अमेरिकी साम्राज्यवाद की शह पर साऊदी अरब का हमला

वर्ष-18, अंक-07(01-15 अप्रैल, 2015)
    अमेरिकी साम्राज्यवाद के पूर्ण समर्थन से साऊदी अरब ने यमन पर भीषण हवाई हमले 25 मार्च की रात से शुरू कर दिये। इन हमलों में भारी पैमाने पर जान-माल की हानि हुयी है। इन हवाई हमलों के साथ साऊदी अरब बड़े जमीनी सैन्य हमले की तैयारी कर रहा है ताकि अपनी पिट्ठू सरकार को पुनः स्थापित कर सके। भारत सहित विभिन्न देशों के अप्रवासी मजदूर और अन्य नागरिक वहां फंसे हुए हैं। 
    यमन वर्ष 2011 के अरब जनउभार के समय से ही राजनैतिक अस्थिरता का शिकार है। ध्यान रहे जनवरी 2011 में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के साथ अब्दुल्ला सालेह की तानाशाही से आजिज आ गये यमन वासियों ने व्यापक जनांदोलन किया था। अब्दुल्ला सालेह ने यमन के संविधान में परिवर्तन करके अपने को आजीवन राष्ट्रपति और अपने पुत्र अहमद सालेह को उत्तराधिकारी के रूप में घोषित करने का प्रयास किया था। सालेह के इन कदमों ने उस आक्रोश और क्षोभ को जन्म दिया था जिसके कारण उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी और उन्होंने अपने संरक्षक साऊदी अरब में अंततः शरण ले ली। 

‘आप’ में कलहः एक और पूंजीवादी मिथक टूटा

वर्ष-18, अंक-07(01-15 अप्रैल, 2015)
    आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले और बाद में जो कुछ हुआ वह यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि भारत के सभी राजनैतिक दलों की तरह ही आआपा भी उन्हीं सभी बीमारियों से ग्रस्त है जिनसे ये पार्टियां ग्रस्त हैं। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव, व्यक्तिपूजा, गुटबाजी, सिद्धान्तविहीनता, अवसरवाद और सबसे बढ़कर सत्ता पाने के लिए हर हथकंडे को आजमाया गया।

मन की बात, जब मन सौ प्रतिशत बेईमान हो

वर्ष-18, अंक-07(01-15 अप्रैल, 2015) 
संघी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर महीने देश की जनता से अपने मन की बात करते हैं। उन्हें इस बात का गुमान है कि देश की जनता उनके मन की बात सुनने के लिए बेताब रहती है हालांकि इस जनता में से केवल एक तिहाई ने ही उन्हें चुनावों में वोट दिया था। 
    इस 22 मार्च को मोदी ने एक बार फिर अपने मन की बात कही। इस बार उन्होंने देश के किसानों को संबोधित किया। किसानों को संबोधित करने से पहले मोदी इस दृढ़ नतीजे पर पहुंच चुके थे कि किसान बेवकूफ हैं। वे अपना हित नहीं समझते, खासकर अपनी जमीन के मामले में। इसीलिए ये बेवकूफ किसान कांग्रेस इत्यादि धूर्त बेईमान पार्टियों के बहकावे में आकर यह नहीं देख पा रहे हैं कि मोदी सरकार किसानों का भला करने पर तुली है। ऐसे में उन्होंने बेवकूफ किसानों को समझाने की ठानी।