Thursday, April 16, 2015

‘नागरिक’ के सम्पादक व उपपा महासचिव पर जानलेवा हमला

वर्ष-18, अंक-08(16-30 अप्रैल, 2015)    
 31 मार्च को ‘नागरिक’ के सम्पादक मुनीष कुमार और उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी पर उत्तराखण्ड के एक खनन माफिया ने अपने गुण्ड़ों के जरिये जानलेवा हमला करवाया। इस हमले में दोनों ही लोगों को गम्भीरें चोटें आयीं। प्रभात ध्यानी को घायलावस्था में कई दिन अस्पताल में गुजारने पड़े।

    पिछले दो वर्ष से रामनगर के पास के वीरपुर लच्छी गांव में ग्रामीण खनन माफिया की गुण्डागर्दी के खिलाफ संघर्षरत हैं। मुनीष कुमार व प्रभात ध्यानी विभिन्न जनसंगठनों के संयुक्त बैनर दमन विरोधी संघर्ष समिति को नेतृत्व देते हुए इस जनसंघर्ष में सक्रिय हैं।  31 मार्च को मुनीष कुमार व प्रभात ध्यानी शाम 5 बजे ग्राम वीरपुर लच्छी से मोटरसाइकिल द्वारा रामनगर वापस आ रहे थे तो रास्ते में वीरपुर लच्छी से लगभग 1.5 किमी आगे थारी गांव के चौराहे पर खड़े लोगों ने उन्हें सड़क पर आकर रोक लिया तथा उनके ऊपर जानलेवा हमला कर दिया। उनका नेतृत्व कर रही महिला प्रीति कौर ने जेब में हाथ डालकर प्रभात ध्यानी का मोबाइल छीन लिया। चालक मुनीष कुमार का मोबाइल पेंट की जेब में रखा होने के कारण वे उनका मोबाइल नहीं छीन पाए। परन्तु शर्ट के भीतर रखा टेबलेट सेमसंग भी मौके पर छीन लिया गया। टेबलेट में सोहन सिंह के खिलाफ अहम फोटो व वीडिया लोड थीं। दोनों को मोटर साइकिल से उतार कर उन पर लाठी-डंडों व धारदार हथियारों से बुरी तरह हमला किया गया। लहूलुहान होकर प्रभात ध्यानी सड़क पर गिर गये। मुनीष कुमार हेलमेट पहने थे इस कारण उनका सिर बच गया। परन्तु उनकी भी कई सारी गम्भीर गुम चोटें आयी हैं। 
    यह हमला सुनियोजित था तथा उस जगह पर हुआ जहां पर पीएसी का कैम्प भी है। हमलावर उन्हें मिट्टी का तेल डालकर जला देने व कार में डालकर ले जाने के लिए भी कह रहे थे। सभी हमलावर ढिल्लन स्टोन क्रेशर से आये थे तथा हमला करने के बाद वे भाग कर वहीं चले गये। वारदात के वक्त ढिल्लन स्टोन क्रेशर स्वामी सोहन सिंह व डी.पी.सिंह स्टोन क्रेशर पर मौजूद थे तथा उनके निर्देशन में ही इस कार्यवाही को अंजाम दिया गया था। 
    यह हमला अचानक नहीं बल्कि सुनियोजित था। 1 मई 2013 को वीरपुर लच्छी गांव में सोहन सिंह व अन्य के द्वारा की गयी आगजनी, फायरिंग, मारपीट की घटना के बाद ‘दमन विरोधी संघर्ष समिति’ के माध्यम से मुनीष कुमार व प्रभात ध्यानी ग्रामीणों को नेतृत्व दे रहे थे। आंदोलन, पुलिस-प्रशासन व न्यायालय सभी जगहोें पर ग्रामीणों के साथ खड़े थे। वे खनन माफिया के ग्रामीणों को दबाने के मंसूबों को सफल नहीं होने दे रहे थे। 
    24 मार्च 2015 को ग्राम वीरपुर लच्छी में 17 वर्षीय स्कूली छात्रा आशा की ओवरलोड रेत भरे ट्रैक्टर से उछले पत्थर के लगने से 25 मार्च को अस्पताल में मौत हो गयी। आक्रोशित ग्रामीणों ने अपने खेतों के ऊपर चलाए जा रहे डम्परों को चलने से रोक दिया तथा गांव की सड़क पर आशा का शव रखकर अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। 
    26 मार्च की शाम मौके पर पहुंचे एस.डी.एम. ने ग्रामीणों को लिखित पत्र दिया जिसमें कहा गया था कि ग्रामीणों के खेतों तथा गूल (छोटी नहर) का 10 दिनों के भीतर भौतिक सत्यापन कराया जाएगा तथा मौके पर मौजूद एस.डी.एम. तहसीलदार, पटवारी ने मौका जांच रिपोर्ट तैयार कर कहा कि उक्त रास्ता हल्के वाहनों व कृषि कार्यों के लिए है। इस दौरान सीओ, कोतवाल, प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार आदि भी मौके पर मौजूद थे। 
    दो दिन बाद तहसीलदार, पटवारी को लेकर गांव में नपाई के लिए पहुंच गये। उनके साथ ढिल्लन स्टोन क्रेशर मालिक डी.पी.सिंह व 200 से अधिक खनन कारोबारी भी मौके पर पहुंच गये। तहसीलदार नपाई में हेरा-फेरी करने लगे। कच्चा रास्ता ग्रामीणों के खेत के भीतर आने पर वे नपाई न कर आगे बढ़ जाते थे। इसको देखते हुए ग्रामीणों ने तहसीलदार का विरोध कर दिया तथा एस.डी.एम. रामनगर को ज्ञापन देकर किसी अन्य अधिकारी से नपाई कराने, सीमांकन चूने से कराने, नपाई की वीडियाग्राफी कराने, खनन कारोबारियों को नपाई से दूर रखे जाने व गांव में पुलिस चौकी खोले जाने इत्यादि की मांग की। जिसके बाद नपाई रोक दी गयी। 
    ढिल्लन स्टोन क्रेशर स्वामी पुलिस-प्रशासन पर गांव के बीच से डम्परों का परिचालन शुरू करवाने के लिए दबाव बनाने लगा। 31 मार्च को सोहन सिंह के गुण्डों व खनन कारोबारियों ने गांव से पहले बने पुल पर ग्रामीणों का रास्ता बंद कर दिया तथा डम्पर चलाने का दबाव बनाने लगे। मीडिया व खुफिया विभाग की हिम्मत उनके फोटो लेने की भी न हुयी। 11 बजे लगभग पुलिस व प्रशासन गांव में पहुंच गये। साथ में सोहन सिंह के बगैर नम्बर वाले मलवा भरे हुए डम्पर तथा जेसीबी भी थी। स्वयं के द्वारा 26 मार्च को मौका जांच रिपोर्ट व भौतिक सत्यापन के लिखित पत्र को देने वाले प्रशासन ने पलटी मारते हुए ग्रामीणों के खेतों पर सोहन सिंह के डम्परों से मलवा डलवाना शुरू कर दिया। नैतिकता व ईमानदारी की दुहाई देने वाले कोतवाल रामनगर की भी कर्तव्यनिष्ठा उस दिन सोहन सिंह के साथ हो गयी। जो काम पिछले 8 वर्ष से गुण्डागर्दी के साथ सोहन सिंह कर रहा था। वहीं काम एस.डी.एम. रामनगर व पुलिस ने करवाना शुरू कर दिया। 
    25 मार्च को आशा की मौत के बाद ग्रामीणों ने जो मलवा अपने खेत से हटा लिया था। उन खेतों पर मलवा डलवाने का काम पुलिस-प्रशासन ने शुरू कर दिया। पुलिस सोहन सिंह की निजी ब्रिगेड बनी हुयी थी और एस.डी.एम. रामनगर सोहन सिंह के मुंशी की तरह मजदूरों व जे.सी.बी. चालक को निर्देश दे रहे थे। पुलिस ने ग्रामीणों के प्रतिरोध को दबा दिया। एक पुलिसकर्मी ने ग्रामीणों को राय दी कि वह मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार, पूर्व विधायक सल्ट रणजीत रावत को फोन करवाएं तभी यह सब कुछ रुक सकता है उन्हीं के दबाव में प्रशासन काम कर रहा है। 
    घटना की जानकारी मिलने पर प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार मौके पर पहुंच गये तथा प्रशासन से पूछा कि क्या यही समझौता 26 मार्च को गांव वालों के साथ हुआ था। उन्होंने ग्रामीणों को साथ लेकर खेतों पर डाले गये मलवे पर बैठकर धरना शुरू कर दिया तथा जेसीबी व डम्पर को भी काम करने से रोक दिया। इस तरह खनन माफिया के ग्रामीणों के खेतों पर पुनः डम्पर चलाने के मंसूबे असफल हो गये। 
    पुलिस-प्रशासन के जाने के बाद 100-150 मोटर साइकिलों पर सवार होकर सोहन सिंह के गुण्डे व खनन व्यवसायी गांव के दक्षिणी छोर पर एकत्र हो गये। उन्होंने एक बार फिर डम्पर खेतों के ऊपर से निकालने की कोशिश की जिसको ग्रामीणों की संगठित ताकत ने असफल कर दिया। 
    इस सबसे बौखलाए खनन माफिया ने प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार के इर्द-गिर्द फील्डिंग लगा दी। जैसे ही वे गांव से रामनगर के लिए निकले। पुल के पास से फोन करके एक व्यक्ति ने ढिल्लन स्टोन क्रेशर में सूचना दे दी और सुनियोजित तरीके से प्रभात व मुनीष पर हमला कर दिया गया।
    हमले की खबर सुनकर वीरपुर लच्छी व आसपास के ग्रामीण तुरंत घटना स्थल पर पहुंच गये। थारी के एक ग्रामीण ने अपनी कार से प्रभात ध्यानी व मुनीष कुमार को घायल अवस्था में रामनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। प्रभात ध्यानी की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें उपचार हेतु सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया गया। कुछ दिनों बाद ठीक होने पर वे पुनः खनन माफिया के खिलाफ चल रहे जन आंदोलन में शामिल हो गये।
     31 मार्च को पुल पर मौजूद एक खनन व्यवसायी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सुबह से ही खनन व्यवसायी मुनीष कुमार व प्रभात ध्यानी की फिराक में थे। उनकी योजना उन्हें गांव में आने से पूर्व ही अगवा कर बंधक बना लेने की थी। दोपहर में 1 बजे पुल पर मौजूद खनन व्यवसायी व गुण्डों के लिए पूरी-सब्जी आयी थी, वे इसे खाने के लिए इधर-उधर हो गये। और अचानक मुनीष कुमार व प्रभात ध्यानी पुल पार करके गांव में पहुंच गये, और वे उन्हें नहीं रोक पाये।
    1 मई 2013 को सोहन सिंह ने अपने दोनों बेटों के साथ गांव में घुसकर गुण्डागर्दी की थी जिसके बाद उसे जेल जाना पड़ा था। परंतु इस बार सोहन सिंह बेहद सतर्क था। वह हमला करते वक्त मौके पर नहीं पहुंचा बल्कि स्टोन क्रेशर पर बैठकर हमलावरों को निदेर्शित करता रहा।
     अब तक 8 हमलावर गिरफतार कर लिए गए हैं  परन्तु हमले का मुख्य साजिशकर्ता सोहन सिंह ढिल्लन व उसे पुत्र डी.पी. सिंह को पुलिस गिरफ्तार करने का साहस नहीं दिखा पा रही है।   रामनगर, संवाददाता   

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