Thursday, October 1, 2015

नेपाल में नया संविधान लागू

वर्ष-18, अंक-19 (01-15 अक्टूबर, 2015)
    16-17 सितम्बर 2015 की रात को नेपाल की संविधान सभा ने दो तिहाई बहुमत से नेपाल का नया संविधान पारित कर दिया। 20 सितम्बर को राष्ट्रपति के इस पर हस्ताक्षर करने के साथ ही यह संविधान लागू हो गया और संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया और वह अगले चुनाव तक संसद में तब्दील हो गयी। यह संसद अब अपने नये अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, सरकार को तय करेगी। 
    संविधान सभा के 598 सदस्यों में से 532 सदस्य नये संविधान पर मतदान के वक्त मौजूद थे। इनमें से 507 ने संविधान के पक्ष में मत दिया और 25 ने संविधान के विरोध में मत दिया। संविधान के पक्ष में मतदान करने वाले नेपाली कांग्रेस, नेकपा एमाले व एनेकपा(माओवादी) प्रमुख थे, विरोध में मत देने वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी थी जबकि मधेसी पार्टियों के लगभग 64 सदस्य संविधान सभा का बहिष्कार कर रहे थे। 

धार्मिक आयोजनों में भगदड़ में मरते लोग: दोषी कौन?

वर्ष-18, अंक-19 (01-15 अक्टूबर, 2015)
    साऊदी अरब के मक्का में हज करने गये लोगों में एक बार फिर भगदड़ मच गयी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये। ईद के मौके पर मची इस भगदड़ में मृतकों का आंकड़ा एक हजार से ऊपर पहुंचने की संभावना है। इससे पहले भी मक्का में कई बार भगदड़ मचने से हजारों लोग मारे जा चुके हैं। धार्मिक आयोजनों में भारी भीड़ उमड़ने और फिर भगदड़ मचने का सिलसिला केवल मक्का तक ही सीमित नहीं है। हमारे देश भारत में भी कुंभ मेले में, दुर्गा पूजा, दशहरा मेले में या फिर मंदिरों में किसी पर्व के मौके पर, किसी बाबा के प्रवचन में भगदड़ में सैकड़ों लोग अक्सर ही मारे जाते रहे हैं।

भारतीय शासकों के ख्याली पुलाव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव का मसला
वर्ष-18, अंक-19 (01-15 अक्टूबर, 2015)

       हीनताबोध के शिकार लेकिन भयंकर महत्वाकांक्षी भारत के पूंजीपति वर्ग को खुशफहमी पालने के लिए कोई न कोई बहाना चाहिए। कोई भी कच्चा धागा चलेगा, कम से कम कुछ दिनों के लिए। अभी ऐसा ही एक धागा उसे पिछले दिनों मिला।
    सितंबर माह में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया। इसके तहत अगले साल संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए चर्चा की जायेगी। यानी इस चर्चा को एजेंडे पर लिया जायेगा। बस इतने मात्र से भारत के पूंजीवादी प्रचारतंत्र ने कुछ इस तरह का प्रचार करना शुरू किया मानो भारत की सुरक्षा परिषद की सदस्यता पक्की हो गयी हो।