वर्ष-18, अंक-12(16-30 जून, 2015)
गत 4 जून को मणिपुर के चंदेल जिले में भारतीय सेना पर हमला किया गया जिसमें 18 सैनिक मारे गये। इस हमले के पीछे बगैर किन्हीं खास सबूतों के भारत सरकार ने घोषणा कर दी कि एनएससीएन (खपलांग) ग्रुप है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की सहमति से भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में प्रवेश कर इस संगठन के कैम्प पर हमला कर 100 से अधिक लोगों को मार गिराया।
भारत का पूंजीवादी मीडिया इस आपरेशन पर फूला नहीं समा रहा है। वह जैसे को तैसा जवाब देने के लिए मोदी सरकार की पीठ थपथपाने में जुटा है। इस खुशी में वह यह भी भूल गया है कि म्यांमार एक स्वतंत्र देश है जिसमें घुस कर कार्यवाही करने का भारतीय सेना को कोई हक नहीं है। यह भारत की दबंगई व विस्तारवादी नीति ही है कि इस तरह की कार्यवाही के बावजूद म्यांमार सरकार इसका कोई खास विरोध तक नहीं कर पाई। मोदी तो अपनी पीठ कुछ उसी अंदाज में थपथपा रहे हैं जैसे ओबामा ने पाकिस्तान में लादेन को मारने की कहानी गढ़ कर थपथपाई थी।
गत 4 जून को मणिपुर के चंदेल जिले में भारतीय सेना पर हमला किया गया जिसमें 18 सैनिक मारे गये। इस हमले के पीछे बगैर किन्हीं खास सबूतों के भारत सरकार ने घोषणा कर दी कि एनएससीएन (खपलांग) ग्रुप है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की सहमति से भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में प्रवेश कर इस संगठन के कैम्प पर हमला कर 100 से अधिक लोगों को मार गिराया।
भारत का पूंजीवादी मीडिया इस आपरेशन पर फूला नहीं समा रहा है। वह जैसे को तैसा जवाब देने के लिए मोदी सरकार की पीठ थपथपाने में जुटा है। इस खुशी में वह यह भी भूल गया है कि म्यांमार एक स्वतंत्र देश है जिसमें घुस कर कार्यवाही करने का भारतीय सेना को कोई हक नहीं है। यह भारत की दबंगई व विस्तारवादी नीति ही है कि इस तरह की कार्यवाही के बावजूद म्यांमार सरकार इसका कोई खास विरोध तक नहीं कर पाई। मोदी तो अपनी पीठ कुछ उसी अंदाज में थपथपा रहे हैं जैसे ओबामा ने पाकिस्तान में लादेन को मारने की कहानी गढ़ कर थपथपाई थी।