Tuesday, September 16, 2014

ये मंजर पहले भी देखे हैं

16-30 सितम्बर, 2014
पाकिस्तान भारत का ‘छोटा भाई’ है। वैसे चूंकि पाकिस्तान भारत के विभाजन से बना है इसलिए इसे पौराणिक कथाओं के अनुसार भारत का पुत्र भी कहा जा सकता है। जो भी हो, दोनों मामले में  यह कहा जा सकता है कि उसमें भारत के कुछ गुण तो होंगे ही। अगस्त के अंत और सितंबर के उत्तरार्ध ने इसे प्रदर्शित भी किया। 
आज से दो-तीन साल पहले अपने प्यारे हिन्दुस्तान में अन्ना हजारे एवं केजरीवाल एण्ड कंपनी की बड़ी धूम थी। वे भारत को बदल देने के लिए मैदान में उतरे थे। कम से कम वे भ्रष्टाचार को तो पूरी तरह खत्म ही करने वाले थे। यह उस जमाने की बात है जब नरेन्द्र मोदी ने पूरी तरह टी.वी. चैनलों पर कब्जा नहीं किया था। तब वे ही भारत के उद्धारक घोषित किये जा रहे थे। भारत का कायांतरण तब केवल वक्त की बात थी। 

इस्लामिक स्टेट के बहाने सीरिया पर निशाना

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस्लामिक स्टेट आफ इराक एण्ड सीरिया (आई एस आई एस- जिसे आजकल संक्षेप में इस्लामिक स्टेट कहा जा रहा है) के खिलाफ अपने हवाई हमलों की जद में सीरिया को भी ले लिया है। आईएस का इराक व सीरिया के एक बड़े भाग में पिछले वर्षों से कब्जा रहा है। आई एस ने जब अमेरिका के हितों को इराक में गम्भीर खतरा पैदा कर दिया तब उसने अपनी फौज को उसके खिलाफ इराक में पुनः आक्रामक मुद्रा में ला दिया। ध्यान रहे कि यह एक सफेद झूठ है कि ओबामा ने इराक और अफगानिस्तान से अपनी फौज वापस बुला ली। इन दोनों ही देशों में अमेरिका ने बगदाद और काबुल में विशाल सैन्य अड्डा कायम किये हुए हैं और ऐसे सैन्य अड्डे पूरे देश में भी फैले हुए हैं। पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य अड्डे कई देशों में है तो भूमध्य सागर, लाल सागर और अरब की खाड़ी में उसकी नौसेना तैनात है।
सीरिया की असद सरकार अमेरिका की आंखों में दशकों से चुभती रही है। वर्ष 2011 के अरब जनउभार का लाभ उठाकर वह असद सरकार को गिराना चाहता था परन्तु उसमें उसे अभी तक कामयाबी नहीं मिल पायी है। उसकी सारी योजनाएं रूसी साम्राज्यवादियों के और ईरान के कारण ही असफल नहीं हुयी बल्कि स्वयं असद सरकार शुरूवाती गम्भीर झटकों के बाद अपनी स्थिति दिनों दिन मजबूत करती चली गयी। असद सरकार ने पिछले कुछ महीनों में आईएस को भी गम्भीर नुकसान पहुंचाया और उसे पीछे हटने को मजबूर किया। परन्तु आईएस का इसके बावजूद सीरिया के एक भाग में कब्जा रहा है। आईएस की इस कार्यवाही में न केवल अमेरिका बल्कि सऊदी अरब सहित कई अरब देश और इजरायल मदद करते रहे हैं। 

जम्मू कश्मीर में मची तबाही: सैकड़ों मरे, हजारों विस्थापित

निकम्मी शासन प्रणाली की पोल फिर खुली

सितम्बर माह के पहले हफ्ते में हुयी भारी बारिश ने जम्मू-कश्मीर में भयानक तबाही फैला दी। 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं तथा चार लाख से अधिक लोग अकेले श्रीनगर में सितम्बर माह के दूसरे हफ्ते तक भी फंसे हुए थे। इस तबाही में हजारों लोग बेघर हो गये और उनकी गृहस्थी पूरे तौर पर उजड़ गयी। 
इस बाढ़ में ‘जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला की सरकार भी बह गयी’, ऐसा खुद इस राज्य के मुख्यमंत्री का कहना था। श्रीनगर शहर में आई बाढ़ में सरकारी दफ्तर, हाइकोर्ट, सरकारी आवास, टेलीविजन प्रसारण केन्द्र आदि सभी जलमग्न हो गये। जो ‘जलमग्न सरकार’ अपनी ही सुरक्षा नहीं कर सकी वह भला आम जनता को क्या सहायता पहुंचाती। सेना को उतारकर ही पुनः व्यवस्था की जा रही है। जम्मू-कश्मीर में भारी वर्षा व बाढ़ के कारण हजारों लोगों को पलायन भी करना पड़ा है। वे भोजन, दवा, कपड़े, छत आदि के अभाव में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। पीने के पानी, रसोई गैस, बिजली, डीजल-पैट्रोल आदि के अभाव और संचार सेवाओं के ठप्प हो जाने के कारण हालात और खराब हो गये हैं।