2 सितम्बर को देशव्यापी हड़ताल
वर्ष-18, अंक-18 (16-30 सितम्बर, 2015)
भाजपा नीत मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में संशोधन किये जाने के खिलाफ 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 2 सितम्बर को देशव्यापी हड़ताल की गयी। पहले इस हड़ताल के आह्वान में 11 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें शामिल थीं। बाद में भाजपा से जुड़ी बी.एम.एस. ने हड़ताल से अपने कदम वापस खींच लिये। इस हड़ताल में 15 करोड़ मजदूर-कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
जब देश में 2014 में आम चुनाव हुए तो चुनावों के दौरान ही यह बात स्पष्ट हो गयी थी कि मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही उसका पहला निशाना श्रम कानून होंगे। श्रम कानूनों में संशोधनों की मांग पूंजीपति वर्ग एक लम्बे समय से करता रहा है। पूंजीपति वर्ग ने इस चुनाव में बेतहाशा पैसा खर्च किया था और मोदी के चुनाव जीतते ही यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गयी। मोदी की शह पर राजस्थान सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन करने शुरू कर दिये। मोदी सरकार ने केन्द्रीय स्तर पर श्रम कानूनों में संशोधनों के पहले चरण में एप्रेन्टिस एक्ट, फैक्टरियों में रजिस्टर रखने से छूट देना, महिलाओं से रात्रि की पाली में काम करने जैसे कानून पास करना आदि संशोधन किये।
वर्ष-18, अंक-18 (16-30 सितम्बर, 2015)
भाजपा नीत मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में संशोधन किये जाने के खिलाफ 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 2 सितम्बर को देशव्यापी हड़ताल की गयी। पहले इस हड़ताल के आह्वान में 11 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें शामिल थीं। बाद में भाजपा से जुड़ी बी.एम.एस. ने हड़ताल से अपने कदम वापस खींच लिये। इस हड़ताल में 15 करोड़ मजदूर-कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
जब देश में 2014 में आम चुनाव हुए तो चुनावों के दौरान ही यह बात स्पष्ट हो गयी थी कि मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही उसका पहला निशाना श्रम कानून होंगे। श्रम कानूनों में संशोधनों की मांग पूंजीपति वर्ग एक लम्बे समय से करता रहा है। पूंजीपति वर्ग ने इस चुनाव में बेतहाशा पैसा खर्च किया था और मोदी के चुनाव जीतते ही यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गयी। मोदी की शह पर राजस्थान सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन करने शुरू कर दिये। मोदी सरकार ने केन्द्रीय स्तर पर श्रम कानूनों में संशोधनों के पहले चरण में एप्रेन्टिस एक्ट, फैक्टरियों में रजिस्टर रखने से छूट देना, महिलाओं से रात्रि की पाली में काम करने जैसे कानून पास करना आदि संशोधन किये।