Saturday, May 16, 2015

ओसामा, ओबामा और पाकिस्तान

वर्ष-18, अंक-10(01-15 जून, 2015)
   सं.राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का ओसामा बिन लादेन की हत्या के बारे में किये गये दावों की पोल प्रसिद्ध अमेरिकी खोजी पत्रकार सेमर एम हर्श ने खोल दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने तुरन्त ही हर्श की बातों को नकार दिया। 
    ओसामा बिन लादेन की 2 मई 2011 की रात को पाकिस्तान के सैन्य शहर ऐबटाबाद में अमेरिकी नेवी सील द्वारा हत्या कर दी गयी थी। ओसामा की इस हत्या को अमेरिकी साम्राज्यवादियों के एक बहुत बड़े कारनामे के रूप में पेश किया गया था। अमेरिकी सेना के इस कारनामे से हमारे देश के तत्कालीन सैन्य प्रमुख इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने भारत में वांछित तथाकथित पाकिस्तानी आतंकवादियों को इसी ढंग से सजा देने की अपनी क्षमता की भी ढींग हांकी थी। 

    हर्श के अनुसार हकीकत यह है कि ओसामा पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई का बंदी था। उसे जानबूझकर ऐबटाबाद में रखा गया था। हर्श के अनुसार अगस्त 2010 में ओसामा बिन लादेन के बारे में सूचना एक पाकिस्तानी गुप्तचर अधिकारी ने सीआईए के इस्लामाबाद स्थित स्टेशन प्रमुख जोनाथन बैंक को 2.5 करोड़ डालर के इनाम को हासिल करने के लिए उपलब्ध करायी थी। उसके बाद सीआईए ने आईएसआई के सहयोग से मई 2011 में ओसामा को मार गिराया। 
    ओसामा की हत्या का समय अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के दुबारा चुनाव लड़ने के पूर्व इसलिए रखा गया ताकि उन्हें अपने इस कारनामे से आसानी से चुनाव में जीत हासिल हो जाये। हुआ भी ऐसा ही ओबामा की घटती लोकप्रियता रुक गयी और वे 2012 में दुबारा से अमेरिका के राष्ट्रपति बन गये। 
    ओसामा बिन लादेन की हत्या एक राजनैतिक साजिश के तहत की गयी। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके लिए स.रा.अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपनी, अपनी सैना और सीआईए की पीठ ठोंकी थी। 
    सेमर हर्श के अनुसार यह एक मिथक गढ़ा गया कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई को इस अभियान के बारे में कुछ भी नहीं पता था। असल में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी और आईएसआई के प्रमुख जनरल अहमद शुजा पाशा को सब कुछ पता था। ऐबटावाद में इस हत्याकाण्ड को रचने के लिए पूर्व तैयारी की गयी थी। शहर की बिजली गुल होना इसका ही एक हिस्सा था। पाकिस्तानी सेना को ऐसे व्यवहार करना था मानो उन्हें कुछ पता नहीं है। और फिर अमेरिकी सेना एक अतिआधुनिक हथियारों और यहां तक परमाणु हथियारों से लैस सेना के एक अड्डे के पास ऐसी कार्यवाही बिना पाकिस्तानी सेना के सहयोग के बिना कर भी नहीं सकती थी। 
    ओसामा की हत्या कर दी गयी। ओबामा चुनाव जीत गये। जिस चीज को पाकिस्तान की जनता अमेरिकी सेना को अपनी सम्प्रभुता का उल्लंघन मान रही थी, वह एक ऐसा झूठ था जिसे ओबामा के प्रशासन ने पाकिस्तान की सेना के प्रमुख के साथ मिलकर गढ़ा था। 

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