वर्ष-18, अंक-02(016-31 जनवरी, 2015)
कल तक वे हमारे साथ थे आज नहीं हैं। साथी दानवीर का ‘नागरिक’ में योगदान अविस्मरणीय है। वे लगातार
कल तक वे हमारे साथ थे आज नहीं हैं। साथी दानवीर का ‘नागरिक’ में योगदान अविस्मरणीय है। वे लगातार
दानवीर |
मजदूर आंदोलन की रिपोर्ट भेजा करते थे। ‘नागरिक’ में रुद्रपुर, पंतनगर, खटीमा आदि स्थानों से छपने वाली रिपोर्ट उनकी सक्रियता, सजगता और संवेदनशीलता का प्रमाण हैं। मजदूरों की व्यथा, संघर्षों और उन संघर्षों में मौजूद चुनौतियों को वे अपने हर रिपोर्ट में रेखांकित करते थे। मजदूरों के साथ काम करने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं पर कई महत्वपूर्ण लेख उन्होंने लिखे। वे अच्छे टाइपिस्ट भी थे। उन्होंने कई अंकों में टाइपिंग भी की।
उनके जाने से ‘नागरिक’ का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हमने अपना एक भरोसेमंद साथी खो दिया। हम नम आंखों से उन्हें विदाई देते हैं। उनकी यादें सदा हमारे दिल में बसी रहेंगी। उनके जाने से एक निर्वात पैदा हो गया है जिसे भरने के लिए हमें बहुत अधिक मेहनत करनी होगी। नागरिक टीम
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