Sunday, November 16, 2014

नसबंदी शिविर या मौत का शिविर

वर्ष-17,अंक-22(16-30 नवम्बर, 2014)
    छत्तीसगढ़ के विलासपुर में नसबंदी शिविर में सरकारी बदइंतजामी और डाक्टरों की घोर लापरवाही के कारण 15 महिलाएं अब तक मारी जा चुकी हैं। 92 से भी अधिक महिलाएं अभी भी विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। वे मौत से जूझ रही हैं और सरकार के मंत्री फूहड़ बयान दे रहे हैं।
    छत्तीसगढ़ में वर्षों से भाजपा की सरकार है और वहां स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है वह इस घटना ने बखूबी जाहिर कर दिया है। हद तो यह है प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मुस्कराते हुए दिखे जब वे लाशों को देख रहे थे। पैचाशिक हंसी का यह नजारा जिसने देखा उसने थू-थू की। 

    छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार प्रदेश के आम नागरिकों की जान की कितनी कद्र करती है यह उपरोक्त घटना से जाहिर होता है साथ ही इस बात से भी जाहिर होता है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दवा खरीदने का काम करने वाले छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कारपोरेशन लिमिटेड का कर्ता-धर्ता कोई विशेषज्ञ नहीं बल्कि ‘भारतीय वन सेवा’ का एक गैर जानकार अफसर है। भ्रष्टाचार का हाल यह है कि दवा कम्पनियों को तत्काल मुनाफा हो सके इसके लिए पांच-पांच साल की दवाएं खरीद कर स्टाॅक बना दिया जाता रहा है। और इस नसबंदी शिविर के लिए दवायें एक ऐसे व्यक्ति से खरीदवायी गयीं जिसके पास फार्मेसिस्ट की डिग्री तक नहीं है। अब यह दिलचस्पी का विषय होगा कि दवा कम्पनियों के मालिकों का भाजपा से क्या रिश्ता है? 
    छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं के जो हाल हैं उसमें ऐसा भीषण कांड अपनी प्रतीक्षा कर रहा था। कमोवेश ऐसे ही हाल पूरे भारत के सरकारी अस्पतालों के हैं। सरकार द्वारा आयोजित किये जाने वाले शिविरों में आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जाता है। इस नसबंदी शिविर में एक डाॅक्टर ने 6 घंटे के भीतर ही 83 महिलाओं की नसबंदी कर दी थी। 
    सरकारी अस्पतालों में न डाक्टर हैं, न दवाएं और न ही आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं। सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं को तदर्थ तरीके से चला रही हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ जैसे हत्याकाण्ड घटने निश्चित हैं। और जब हत्यारे खुद ही जांच के आदेश, जांच करने और निर्णय सुनाने वाले हों तो आम जनता के हिस्से क्या आ सकता है। छत्तीसगढ़ में रचे गये हत्याकाण्ड में मुख्य हत्यारे बच या बचा लिए जायेंगे। किसी अदने से कर्मचारी को बलि का बकरा बनाकर हत्यारे अपने को पाक दामन साबित कर देंगे। फिर किसी दिन नया हत्याकाण्ड जब रचेगा तब फिर ऐसी ही हाय-तौबा मचेगी। 

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