Friday, August 1, 2014

और अब सहारनपुर में साम्प्रदायिक दंगा

उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। पूरे प्रदेश में जबरदस्त साम्प्र्रदायिक तनाव भाजपा और संघियों द्वारा कायम किया हुआ है। ऐसी स्थिति में किसी भी छोटी सी घटना को साम्प्रदायिक रंग देकर दंगे प्रायोजित किये जा रहे हैं। सहारनपुर की घटना भी ऐसी है। महीनों से सहारनपुर में किसी न किसी रूप में तनाव कायम था। उसे विस्फोटक रूप धारण करना था। अंततः उसने कर लिया। इन दंगों में तीन लोग मारे गये और दर्जनों घायल हो गये। शहर के छह थानों में कफ्र्यू लगा दिया गया।
सहारनपुर में सिख और मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगों के बीच जमीन को लेकर विवाद था। विवाद अदालत में चल रहा है परन्तु उस पर किये जाने वाले निर्माण को साम्प्रदायिक दंगे का रूप दे दिया गया। कमोवेश इसी तरह मुरादाबाद के कांठ कस्बे में भी जारी तनाव साम्प्रदायिक तत्वों की पैदाइश है। संघी व भाजपाई इस तनाव को लगातार बनाये रखने में अपनी ऊर्जा लगा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में सपा सरकार इन प्रायोजित दंगों को रोकने में असफल साबित हो रही है। इसकी एक वजह स्वयं इस सरकार और सत्ताधारी पार्टी का साम्प्रदायिकता को राजनीतिक ढंग से इस्तेमाल कर चुनावी समीकरण बिठाना रहा है। संघ और भाजपा ने तो साम्प्रदायिक धु्रवीकरण करके ही उत्तर प्रदेश में इस बार के आम चुनाव में भारी सफलता हासिल की थी। कांग्रेस और बसपा अपने-अपने गणित के हिसाब से साम्प्रदायिक तत्वों का इस्तेमाल करते रहे हैं। अतः  ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों पर रोक लगेगी और तनाव समाप्त होने की कोई स्थिति नहीं बन पा रही है। कभी एक शहर तो कभी दूसरे कस्बे में दंगे व तनाव को प्रायोजित किया जा रहा है। प्रशासन बेबस और लचर साबित हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2011 के बाद से दंगों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2014 के आम चुनाव के बाद कई लोग ऐसी उम्मीद पाल रहे थे कि शायद अब शांति कायम होगी परन्तु संघी-भाजपायी इस स्थिति को 2017 के विधानसभा चुनाव तक और उसे आगे भी बनाये रखने के फिराक में हैं।
ऐसी हालत में दंगों और साम्प्रदायिक तनाव के खात्मे की उम्मीद चुनावबाज पार्टियों और प्रशासन से करना फिजूल है। इसके लिए देश व प्रदेश के मजदूर-मेहनतकशों, धर्मनिरपेक्ष ताकतों, इंसाफ पसंद बुद्धिजीवियों आदि को आगे आना होगा। उन्हें एकजुट होकर साम्प्रदायिक तत्वों को मंुहतोड़ जबाव देना होगा। इन ताकतों के घृणित मंसूबों को नाकामयाब करना होगा।   

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