आम बजट 2015-16
वर्ष-18, अंक-06(16-31 मार्च, 2015)
28 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वार्षिक बजट पेश कर दिया। मोदी सरकार के 9 माह बीतने के बाद भी अच्छे दिन जनता के
लिए न तो आने थे और न आये। अब इस बजट के प्रावधानों से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि मेहनतकश जनता के लिए भविष्य में बुरे दिन ही आने हैं। अच्छे दिन तो मोदी राज में पूंजीपतियों के खाते में आने हैं।
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक शेर पढ़ा ‘‘कुछ तो फूल खिलाए हमने और कुछ फूल खिलाने हैं, मुश्किल यह है बाग में अब तक कांटे कई पुराने हैं’’। वास्तव में पिछले 9 माह में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए कई फूल खिलाए हैं जो मेहनतकशों के ऊपर कांटों की तरह चुभे हैं। श्रम कानूनों में सुधार, भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव, विदेशी निवेश के लिए तमाम क्षेत्रों को खोलना, राजसत्ता का साम्प्रदायीकरण आदि आदि ऐसे ढ़ेरों फूल पूंजीपतियों की सेवा में पेश किये गये हैं जो मजदूरों-किसानों को कांटों की तरह चुभे हैं। अब नये बजट में कुछ और कांटे जनता को चुभोने का अरुण जेटली ने प्रयास किया है।
वर्ष-18, अंक-06(16-31 मार्च, 2015)
28 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वार्षिक बजट पेश कर दिया। मोदी सरकार के 9 माह बीतने के बाद भी अच्छे दिन जनता के

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक शेर पढ़ा ‘‘कुछ तो फूल खिलाए हमने और कुछ फूल खिलाने हैं, मुश्किल यह है बाग में अब तक कांटे कई पुराने हैं’’। वास्तव में पिछले 9 माह में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए कई फूल खिलाए हैं जो मेहनतकशों के ऊपर कांटों की तरह चुभे हैं। श्रम कानूनों में सुधार, भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव, विदेशी निवेश के लिए तमाम क्षेत्रों को खोलना, राजसत्ता का साम्प्रदायीकरण आदि आदि ऐसे ढ़ेरों फूल पूंजीपतियों की सेवा में पेश किये गये हैं जो मजदूरों-किसानों को कांटों की तरह चुभे हैं। अब नये बजट में कुछ और कांटे जनता को चुभोने का अरुण जेटली ने प्रयास किया है।